MUGHAL-E-AZAM: An Immerse into the Epic

“मैं  हिंदुस्तान हूँ, हिमालय मेरी सरहदों का निगेहबान है, गंगा मेरी पवित्रता की सौगंध, तारिख की फ़िदा से मैं अंधेरों और उजालों का साथी हूँ, और मेरी हाथों में संगमरमर की चादरों में लिपटी ये इमारतें  दुनिया से कह रही हैं की ज़ालिमों ने मुझे लूटा और मेहरबानो ने मुझे … Continue reading MUGHAL-E-AZAM: An Immerse into the Epic